बचपन मैं दूरदर्शन पर आप लोगों ने ये फिल्म जरूर देखी होगी...कईयों को तो इसका गीत भी याद होगा....अनेकता मैं एकता का संदेश देने वाले इस वीडियों को देखकर आप लोगों को अपना बचपन जरूर याद आयेगा आइये देखें.....
मंगलवार, 16 दिसंबर 2008
सोमवार, 15 दिसंबर 2008
शनिवार, 13 दिसंबर 2008
गुरुवार, 27 नवंबर 2008
अपनों के कातिलों को
कातिल पकड़ा गया
तो कोई
अपना ही निकला
फिर मारा गया वह
अपना कर्तव्य करते हुए,
अब तो शर्म
करो!
मीडिया ने किया है ..इस बात पर है..हिंदु आतंकवाद...मुस्लिम आतंकवाद....इस एपीसोड
ने आतंकवाद के खिलाफ लङाई को कमजोर किया है.....देखा जाये तो ये किसी देशद्रोह से
कम नहीं.....सिर्फ और सिर्फ हिंदु को बदनाम करने की जिद मैं वे लोग भूल गये कब वे
देश मैं फैले आतंकवाद का समर्थन करने लगे.....आप के विचार से क्या किया है ताज पर
हमले करके इन आतंकवादियों ने....साध्वी के हमले का बदला ही तो लिया है
....अल्पसंख्यकों पर हमलों का बदला ही तो लिया है(ये भी उन्होने चैनल वालों को फोन
करके ही बताया है...क्यों कि वे ही इन मजलूमों की आवाज को आप जैसे बुद्धिजीवियों तक
पहुंचा सकें ....जो गला फाङ फाङ कर फिर ये बता सकें कि देखों मैं तो एक धर्म पर
विश्वास न करने वाला मिस्टैकनली बोर्न हिंदु हूं....और देखो ये लोग जो कर रहे हैं
बिचारे इनके पास करने के लिए औऱ कुछ नहीं बल्कि इन्होने तो ये सब करना ही था
)
शर्म आ रही थी जब साध्वी को ...हिंदु को ...बदनाम करने के चक्कर मैं मीडिया बार बार
बिना साबित हुई चीजों को बार बार दिखा रहा था औऱ ये साबित करने मैं लगा था कि
आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद नहीं होता ...ये हिंदु होता है और मुसलमान भी होता
है.......इसलिए यदि कोई आतंकवादी घटना हो तब सोचे कि किसने की और फिर ये निश्चित
करें कि क्या करना है....और आज भी उतना ही दुख है ..गुस्सा है...आक्रोश है......और
इस सब के लिए कुछ करने की जबर्दस्त इच्छा है....बिना ये सोचे की वे हमलावर हिंदु थे
या मुसलमान.....वे सिर्फ आतंकवादी नहीं हैं बल्कि देश के दुश्मन हैं......मेरे
दुश्मन है...भारत माता के दुश्मन हैं(एनी आब्जेक्शन)
आनी चाहिये या मुझे सोचने का विषय है...श्री हेमंत करकरे की शहादत के बारे मैं शायद
आपसे कुछ ज्यादा ही गंभीर हूं मैं.....मेरी पोस्ट की अंतिम पंक्तियों मैं उनकी
शहादत को नमन किया गया हैं........
गुरुवार, 13 नवंबर 2008
मैने अपना निदान तब तक सोच लिया था....यह एक्नि वल्गैरिस (मुंहासे) ग्रैड 5 थाऔर तब तक मैं उसे दिया जाने वाला उपचार की रूपरेखा भी मस्तिष्क मैं बना चुकाथा......तब मैंने आइसोट्रिटिनोइन नामक एकऔषधी प्रारंभ करने के वारे मैं विचार किया...पर कुछ कठिनाइयां थी एक तो यह औषधीमंहगी बहुत थी महिने की करीब 1300 -1400 की दवाई और कम से कम चार पांच महिने तकचलने वाली थी और दूसरे दवाई बंद करने के बाद करीब डेढ साल तक वह गर्भ धारण नहीं करसकती थी ...क्यों कि होने वाले बच्चे मैं गंभीरपरिणाम हो सकते हैं.....
जल्द ही दोनों समस्याओं का समाधान हो गया क्यों कि गर्भ धारण करने की बात वो मान गइ और दवाईयां मैंने उसकी आर्थिक स्थिति देखकर उससे वादा किया कि मैं किसी भी तरह जितना हो सकेगा अपने पास् से दूंगा कम से कम एक तिहाई .........
खैर उपचार प्रारंभ हुआ वो हर पंद्रह दिन मैं आती थी दवाई लेने ....प्रारंभ मै औषधियों का असर थोङा कम होता हैं ...इसलिए वो बार बार हिम्मत हार जाती पर मैने उसे मानसिक और दवाइयों से दोनों तरह से पूरा सहयोग दिया और उसकी हिम्मत बनाए रखी .पर एक बात मुझे खटकती ती वो ये कि वो मुफ्त की दवाइयां तो मेरे से लेती थी पर बाकि दवाइयां मेरे क्लिनिक पर स्थित मैडीकल स्टोर की जगह अपने किसी रिश्तेदार की दुकान से लेती थी........वैसे कभी भी मैं इस चीज का ध्यान कभी नहीं रखता कि कौन यहां से दवाइ लेता है कौन नहीं ....पर चूंकि मैं इस रोगी की इतनी सहायता कर रहा था इस लिए शायद मुझे ये अटपटा लगा......
धीरे धीरे वो ठीक होने लगी ...मैं स्वयं परिणाम से संतुष्ट था और वो भी प्रसन्न थी....करीब पांच महिने बाद एक दिन बङे ही प्रसन्न मुख से उसने मेरे क्लिनिक मैं प्रवेश किया और बोली ..सर दो दिन बाद मेरी शादी है .....आज उसका चेहरा दमक रहा था ,चेहरे के निशान काफी कुछ साफ हो चले थे और बहुत सुंदर दिख रही थी आज...........मैं स्वयं विश्वास नहीं कर पा रहा था कि यह वही लङकी है जो उस दिन पहचान मैं नहीं आ रही थी और जिसका रो रोकर बुरा हाल था.मैंने उसे अंतिम पंद्रह दिन की दवाइयां लिखकर महिने दो महिने मैं वापिस दिखाने को कहकर उसे विदा किया...जाते जाते उसने पलटकर धन्यवाद दिया और दरवाजे के बाहर निकल गई.
ठीक दस मिनिट बाद हरीराम जो कि मेरी फार्मेसी संभालता है ,घबराया हुआ अंदर आया ...सर जो लङकी आईसोट्रिटिनइन लेती है वो दवाई दिखाने आई थी क्या...मैने कहा नहीं वो को वैसे भी अपने यहां से दवाई नहीं लेती है....क्या हुआ......दिखाने के बाद दवाई लेकर तो नहीं आई.....
साब उसने कभी यहां से दवाई नहीं खरीदी.....आज पंद्रह दिन की जगह उसने दो महिने की दवाई ली और आपको दिखाने का नाम लेकर अंदर आई थी....पर वापिस नहीं दिखी........
जिस लङकी को पिछले छै महीने से कि उसके अंधकार मय जीवन मैं एक तरह उजाला हो इसलिए पूरा मन लगाकर मेरे से जितनी संभव है उतनी सहायता की .....वो पूरे ढाई हजार की दवाईयां लेकर गायव हो चुकी थी
आगजनी और तोङ फोङ होती
यदि हम वाकई ये चाहते हैं कि हमारे देश का धर्म निरपेक्षता बची रहै और सभी संप्रदाय के लोग यहां मिलजुल कर खुशी खुशी रहें तो यह सब बंद होना ही चाहियें,क्यों हम किसी आतंकवादी या उग्रवादी घटना के बाद उसे संप्रदाय के आधार पर उसका विचार संप्रदाय के आधार पर करें.क्या हिंदु को दर्द कम होता है या मुसलमान के मरने से उसके घर वाले कम दुःखी होते हैं.
विशेष बात ये है कि ये सब वे लोग कर रहें हैं जो अपने आप को धर्मनिरपेक्षता का झंडा वरदार समझते हैं,हाले के दिनों मैं ऐसे कई सारे उदाहरण सामने आये हैं जिनसे ये बात स्पष्ट होती है...
दो एक साल पहले मूसा खेङा नाम की ऐक जगह है अलवर (राजस्थान) के पास वहां पांछ छ सिख भाईयों की हत्या कर दी गई थी..हत्या भी एकदम तालिबानी तरीके से की गई थी उनमें से प्रत्येक के टुकङे टुकङे कर दियें गये और एक को पैङ पर लटकाकर उसके पहले हाथ पैर काटे गये फिर आंखे निकाल ली गई...इतना ही नहीं बल्कि घर की महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया कुल मिलाकर एक हंसता खेलता परिवार बङे ही क्रूर तरीके से मार दिया गया अब उस घर मैं सिर्फ विधवा महिलायें और बच्चे ही बाकी बचे हैं .
इस घटना का पता राजस्थान के ही दूसरे हिस्सों मैं तब लगता हैं जब वहां कि जनता बंद का ऐलान करती हैं और वहां एक दो जगह आगजनी और तोङ फोङ होती हैं ... तो अखबारों ने छापा कि हिंदु अतिवादी संगठनों की दादा गिरी....बाकी इस घटना से न तो किसी मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवी का पैट का पानी भी नहीं हिला.किसी अखबार ने संपादकीय तो छोङो ...उन मृतकों के लिए दो लाइने भी खराब नहीं की.....
क्या उनके खून का रंग ग्राहम स्टैंस के खून से सफेद था...क्या मानवता यही कहती हैं...उन महिलाओं की इज्जत उङीसा की नन से ज्यादा सस्ती थी....पर ग्राहम स्टैंस के हत्यारे को फांसी की सजा सुनाई जाती हैं और उन्हें पद्म श्री दी जाती है स्टैंस की पत्नी सरकारी मैहमान बनकर दिल्ली आती हैं..दूसरी ओर उन भाइयों के परिवार वाले आज भी न्याय के लिए दर दर भटक रहे हैं.
क्या बुद्धीजीवी का अर्थ ये तो नहीं कि बुद्धि बेच बाचकर आजीवीका चलाने वाले,.....क्या मानवाधिकार भी हिंदु या मुसलमान के लिए या ईसाई के अलग होता है ...विचार करें...क्या करेंगे ऐसी धर्म निरपेक्षता का...
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गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008
बुधवार, 1 अक्तूबर 2008
सोरायसिस(psoriasis)
विश्व की कुल जनसंख्या का करीब 1 प्रतिशत लोग सोरायसिस से पीङित हैं,इस लिहाज से देखा जाये तो हमारे देश की कुल जनसंख्या का लगभग 1 प्रतिशत याने 1 करोङ लोगों को सोरायसिस है.
सोरायसिस के बारे में जानना ही इसका आधा उपचार है यदि आप इस रोग के बारे में जानते हैं तो आधा उपचार तो आप स्वयं ही कर सकते ,
कि सामान्य जानकारी के लिए इसकी गहराई में जाना आवश्यक नहीं है यहां हम केवल उन चीजों के बारे में बात करते हैंजो एक सामान्य रोगी के लिए जानना आवश्यक है्.
लक्षण-most characteristically lesions are chronic sharply demarcated dull red scaly plaques particularly on the extensor prominence and scalp.
अर्थात रक्तिम ,छिलकेदार ,निशान जो के आस पास की त्वचा पर अलग से दिखाइ देते हैं,ये सिर अलावाextensor surface जैसे कोहनी ,और घुटने की तरफ पूरे पाव में और कमर पर अधिकतर मिलते हैं.इनका आकार 2-4 मिमि से लेकर कुछ सेमी तक हो सकता है ,सिर में ये रूसी के गंभीरतम रूप की तरह दिखाइ देते हैं,
सोरायसिस यदि एक बार हो गया तो बह फिर जीवन भर चल सकता है .विज्ञान के इतने विस्तार के बाद भी अभी तक कोइ दवाई ऐसी नहीं बनी जो इसे पूर्णतया ठीक कर सके.पूर्णतया लगभग 10-30 प्रतिशत रोगी कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं.पर इसमें उपचार की भूमिका नगण्य है ,अर्थात अपने आप ठीक होते हैं क्यों ठीक होते है ,अभी तक कारण अज्ञात है.
गंभीरता के अनुसार यह शरीर पर कई बार सिर्फ कुछेक चकतों के रूप में दिखाई देता है वे भी कुछ समय रहकर अपने आप ठीक हो जाते है ,पर बहुत बार यह शरीर के काफी बङे हिस्से को ढांप लेता है, सोरायसिस की गंभीरता मौसमी परिवर्तनों सेभी प्रभावित होती है ,जैसे सर्दियों मै सोरायसिस बढ जाता है
प्रकार–क्रोनिक प्लाक सोरायसिस-यह सोरायसिस का मुख्य प्रकार है और उपर लिखित लक्षण क्रोनिक प्लाक सोरायसिस के ही हैं,
इसके अलावा इसके अन्य कई प्रकार हैं जो कि कम ही मरीजों मैं पाये जाते हैं जैसे --
guttate psoriasis-4-5 मिमि के गोल निशान बनते है ,अक्सर बच्चों मैं गले के संक्रमण के बाद होते हैं और पूरे शरीर पर गोल गोल निशान बनते है जो कि अधिकतर ठीक हो जाते हैं पर कई बार ये क्रोनिक प्लाक सोरायसिस मैं परिवर्तित हो सकते हैं
,erythrodermic psorisis-जब सोरायसिस शरीर के 80 प्रतिशत हिस्से तक फैल जाता है तो इसे कहते हैं,यह एक प्रकार का गंभीरतम प्रकार है जिसका तुरंत किसी विशेषज्ञ से उपचार की आवश्यता होती है अन्यथा जीवन के लिए खतरा हो सकता है.
pustular psoriasis-यह भी गंभीर प्रकार का सोरायसिस है जिसमें पूरे शरीर पर छाले बन जाते हैं जिनमें pus भरी होती है.
कई बार यह मात्र हथेली और पगतली पर ही होता है (palmo plantar psoriasis) और जब यह सिर्फ सर मैं होता है (scalp psoriasis ).
कैसे होता है सोरायसिस-हमारी त्वचा जिस प्रकार से हमारे बाल बढते है ,जिस तरह नाखून बढते हैं वैसे ही निरंतर बनती रहती है और उतरती रहती है। और हमारे शरीर की संपूर्ण त्वचा एक महिने में पूरी बदल जाती है.पर जहां सोरायसिस होता है वहां यह त्वचा केवल चार दिन में बदल जाती है.क्यों कि यह त्वचा पूरी तरह सेmature नहीं हो पाती है इसलिए इसकी पकङ कमजार होती है ओर यह भुरभुरी सी त्वचा चांदी के छिलकों जैसी दिखती है और यदि ऊपर से इसे ग्लाम स्लाइड से रगङा जाये तो धीरे धीरे परत दर परत उतरती चली जाती है और फिर हल्की हल्की रक्त की वूंदे दिखाइ देने लगती है यह एक तरह का टैस्ट है जिसे auspitz sign कहते हैं जो बङा साधारण सा तरीका है जिससे सोरायसिस का निदान किया जा सकता है ,
उपचार-साधारणतया सोरायसिस सामान्य मॉश्चराइजर्स या इमॉलिएंट्स जैसे वैसलीन ,ग्लिसरीन.या अन्य क्रीम्स से भी नियंत्रत हो सकता है , सिर पर जब ये होता है तो विशेष प्रकार के टार शैंपू काम मैं लिया जाता हैं,सिर के लिए सैलिसाइलिक एसिड लोशन और शरीर पर हो तो सैलिसाइलिक एसिड क्रीम विशेष उपयोगी होती है.इसके अलावा कोलटार(क्रीम,लोशन,शैम्पू) diatharnol(chryosorabin bark extract ) आदि दवाइयां विशेष उपयोगी होती हैं
फोटोथैरेपी-जिसमें सूर्य की किरणों मैं पायी जाने वाली UV-A और U V-B किरणों से से उपचार किया जाता है.PUVA थैरेपी जिसमें psoralenes +UVA थैरेपी सामान्य रूप से काम लिया जाने वाला उपचार है .
जाता हैं.इसके अलावा कैल्सिट्रायोल और कैल्सिपौट्रियोल नामक औषधियों का भी बहुत अच्छा प्रभाव होता है पर ये इतनी महंगी हैं कि सामान्य आदमी की पहुंच से बाहर होती हैं
इसके अलावा जब बीमारी ज्यादा गंभीर हो तब मीथोट्रीक्सैट और साईक्लोस्पोरिन नामक दवाईयां भी काम ली जाती हैं पर ये सब किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख मैं ही लेनी चाहिये,
उपसंहार-कुल मिलाकर सोराईसिस एक ऐसी बीमारी है जो एक बार यदि हो गई तो जीवन भर चलने वाली है यानि once a psoriasis patient is always a psoriasis patient. पर इतना होने के बाद भी इसकी कुछ खूबियां है भी हैं-
यह छूत की बीमारी नहीं है.
परिवार मैं अक्सर अकेले व्यक्ति को होती है बच्चों को नहीं होती है और यदि होती भी है तो सामान्य जनसंख्या के अनुपात मैं मात्र कुछ ही ज्यादा प्रतिशत मैं ऐसा होता है तो मान सकते हैं कि आनुवांशिक रूप से कभी कभार ही होती है.
अक्सर सोरायसिस के रोगी को खुजली बीमारी की तुलना मैं बहुत कम चलती है ,इससे शरीर पर निशान होने के बाद भी मरीज आराम से जी सकता है
यदि व्यक्ति किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की देख रेख मैं यान महिने दो महिने मैं एक बार किसी विशेषज्ञ से मिलता रहे तो ज्यादा परेशान नहीं होता है.
विशेषज्ञ चिकित्सक के अलावा उपचार लेना भारी पङ सकता है,क्यों कि अक्सर लोग लंबी बीमारी होने की वजह से नीम हकीमों के,और गारंटी से ठीक कर देने वालों के चक्कर मैं पङ जाते हैं, और सामान्य रूप से ये देखा गया है कि erythrodermic psorisis, या pustular psoriasis गंभीरतम प्रकार है सोरायसिस के वे इस देशी या गारंटी वाले इलाज की वजह से ही होते है क्यों कि इस प्रकार के उपचार मैं ज्यादा तर स्टीरॉइड्स का उपयोग किया जा सकता है जिनसे अधिकतर चमङी की बीमारियों मैं थोङा बहुत फायदा जरूर होता है पर सोरायसिस मैं ये विष का काम करती है,और थोङी सी बीमारी भी पूरे शरीर मैं फैल जाती है.
परहेज नाम पर मात्र मदिरा और धूम्रपान का परहेज है क्यों कि ये दोनों ही सीधे सीधे इस व्याधि को बढाते है.
कुल मिलाकर यदि हमें इस व्याधि के बारे मैं यदि हमें सामान्य जानकारी हो तो रोगी बङे आराम से सामान्य जीवन जी सकता है और जीते हैं
सोरायसिस(psoriasis)
विश्व की कुल जनसंख्या का करीब 1 प्रतिशत लोग सोरायसिस से पीङित हैं,इस लिहाज से देखा जाये तो हमारे देश की कुल जनसंख्या का लगभग 1 प्रतिशत याने 1 करोङ लोगों को सोरायसिस है.
सोरायसिस के बारे में जानना ही इसका आधा उपचार है यदि आप इस रोग के बारे में जानते हैं तो आधा उपचार तो आप स्वयं ही कर सकते ,
कि सामान्य जानकारी के लिए इसकी गहराई में जाना आवश्यक नहीं है यहां हम केवल उन चीजों के बारे में बात करते हैंजो एक सामान्य रोगी के लिए जानना आवश्यक है्.
लक्षण-most characteristically lesions are chronic sharply demarcated dull red scaly plaques particularly on the extensor prominence and scalp.
अर्थात रक्तिम ,छिलकेदार ,निशान जो के आस पास की त्वचा पर अलग से दिखाइ देते हैं,ये सिर अलावाextensor surface जैसे कोहनी ,और घुटने की तरफ पूरे पाव में और कमर पर अधिकतर मिलते हैं.इनका आकार 2-4 मिमि से लेकर कुछ सेमी तक हो सकता है ,सिर में ये रूसी के गंभीरतम रूप की तरह दिखाइ देते हैं,
सोरायसिस यदि एक बार हो गया तो बह फिर जीवन भर चल सकता है .विज्ञान के इतने विस्तार के बाद भी अभी तक कोइ दवाई ऐसी नहीं बनी जो इसे पूर्णतया ठीक कर सके.पूर्णतया लगभग 10-30 प्रतिशत रोगी कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं.पर इसमें उपचार की भूमिका नगण्य है ,अर्थात अपने आप ठीक होते हैं क्यों ठीक होते है ,अभी तक कारण अज्ञात है.
गंभीरता के अनुसार यह शरीर पर कई बार सिर्फ कुछेक चकतों के रूप में दिखाई देता है वे भी कुछ समय रहकर अपने आप ठीक हो जाते है ,पर बहुत बार यह शरीर के काफी बङे हिस्से को ढांप लेता है, सोरायसिस की गंभीरता मौसमी परिवर्तनों सेभी प्रभावित होती है ,जैसे सर्दियों मै सोरायसिस बढ जाता है
प्रकार–क्रोनिक प्लाक सोरायसिस-यह सोरायसिस का मुख्य प्रकार है और उपर लिखित लक्षण क्रोनिक प्लाक सोरायसिस के ही हैं,
इसके अलावा इसके अन्य कई प्रकार हैं जो कि कम ही मरीजों मैं पाये जाते हैं जैसे --
guttate psoriasis-4-5 मिमि के गोल निशान बनते है ,अक्सर बच्चों मैं गले के संक्रमण के बाद होते हैं और पूरे शरीर पर गोल गोल निशान बनते है जो कि अधिकतर ठीक हो जाते हैं पर कई बार ये क्रोनिक प्लाक सोरायसिस मैं परिवर्तित हो सकते हैं
,erythrodermic psorisis-जब सोरायसिस शरीर के 80 प्रतिशत हिस्से तक फैल जाता है तो इसे कहते हैं,यह एक प्रकार का गंभीरतम प्रकार है जिसका तुरंत किसी विशेषज्ञ से उपचार की आवश्यता होती है अन्यथा जीवन के लिए खतरा हो सकता है.
pustular psoriasis-यह भी गंभीर प्रकार का सोरायसिस है जिसमें पूरे शरीर पर छाले बन जाते हैं जिनमें pus भरी होती है.
कई बार यह मात्र हथेली और पगतली पर ही होता है (palmo plantar psoriasis) और जब यह सिर्फ सर मैं होता है (scalp psoriasis ).
कैसे होता है सोरायसिस-हमारी त्वचा जिस प्रकार से हमारे बाल बढते है ,जिस तरह नाखून बढते हैं वैसे ही निरंतर बनती रहती है और उतरती रहती है। और हमारे शरीर की संपूर्ण त्वचा एक महिने में पूरी बदल जाती है.पर जहां सोरायसिस होता है वहां यह त्वचा केवल चार दिन में बदल जाती है.क्यों कि यह त्वचा पूरी तरह सेmature नहीं हो पाती है इसलिए इसकी पकङ कमजार होती है ओर यह भुरभुरी सी त्वचा चांदी के छिलकों जैसी दिखती है और यदि ऊपर से इसे ग्लाम स्लाइड से रगङा जाये तो धीरे धीरे परत दर परत उतरती चली जाती है और फिर हल्की हल्की रक्त की वूंदे दिखाइ देने लगती है यह एक तरह का टैस्ट है जिसे auspitz sign कहते हैं जो बङा साधारण सा तरीका है जिससे सोरायसिस का निदान किया जा सकता है ,
उपचार-साधारणतया सोरायसिस सामान्य मॉश्चराइजर्स या इमॉलिएंट्स जैसे वैसलीन ,ग्लिसरीन.या अन्य क्रीम्स से भी नियंत्रत हो सकता है , सिर पर जब ये होता है तो विशेष प्रकार के टार शैंपू काम मैं लिया जाता हैं,सिर के लिए सैलिसाइलिक एसिड लोशन और शरीर पर हो तो सैलिसाइलिक एसिड क्रीम विशेष उपयोगी होती है.इसके अलावा कोलटार(क्रीम,लोशन,शैम्पू) diatharnol(chryosorabin bark extract ) आदि दवाइयां विशेष उपयोगी होती हैं
फोटोथैरेपी-जिसमें सूर्य की किरणों मैं पायी जाने वाली UV- ओऔर UV- किरणों से उपचार किया जाता हैं
इसके अलावा जब बीमारी ज्यादा गंभीर हो तब मीथोट्रीक्सैट और साईक्लोस्पोरिन नामक दवाईयां भी काम ली जाती हैं पर ये सब किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख मैं ही लेनी चाहिये,
उपसंहार-कुल मिलाकर सोराईसिस एक ऐसी बीमारी है जो एक बार यदि हो गई तो जीवन भर चलने वाली है यानि once a psoriasis patient is always a psoriasis patient. पर इतना होने के बाद भी इसकी कुछ खूबियां है भी हैं-
यह छूत की बीमारी नहीं है
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कुल मिलाकर यदि हमें इस व्याधि के बारे मैं यदि हमें सामान्य जानकारी हो तो रोगी बङे आराम से सामान्य जीवन जी सकता है और जीते हैं
मंगलवार, 30 सितंबर 2008
ये ऐसा झूठ विस्फोट.कॉम पर छापा गया है जो आज की धङाधङ हिट पोस्टहै .सच्चाई यहां हाजिर है विस्फोट.कॉम पर अक्सर अच्छे लेख छपते हैं और मैं इसका नियमित पाठक हूं.पर अबकी बार वैबसाइट के संचालकों ने तथ्यों की सत्यता को नहींपरखा लगता है.
"जेपी इंडस्ट्रीज रामदेव के योगग्राम में पैसा लगाता है और गंगारक्षा का दावा करनेवाले बाबा रामदेव गंगा रक्षा के पांच सूत्रीय मांगोंमें गंगा एक्सप्रेस हाईवे का जिक्र करना भी भूल जाते हैं. इससे गंगा रक्षामंच और उद्योगपतियों के अन्तर्सम्बन्धों से हकीकत खुद बखुद सामने आ गई है।वैसे भी गंगा में जो भी उतरेगा उसे कपड़े उतारने पडेंगे। और कपड़े उतरेंगेको बहुत कुछ दिखेगा। दामन पर लगे दाग गंगा बाद में धोएगी पहले तो वहसार्वजनिक होगा। वही बाबा रामदेव के साथ हो रहा है।""
इसके बाद लेखक महोदय पांच सूत्रीय मांग पत्र छापते है जो आधा झूठ है और आधा सच
पहली बात। बाबा ने गंगा रक्षा मंच के बैनर तले एक हस्ताक्षर अभियान चलारखा है। हस्ताक्षर अभियान गंगा के सवाल पर केन्द्रीय एवं सम्बन्धित राज्यसरकारों के समक्ष प्रस्तुत मांग पत्र के समर्थन में है। मांग क्या है, इसपर गौर फरमाने की जरूरत है।एक- गंगा को राष्ट्रीय नदी / राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।दो- केन्द्रीय स्तर उच्चाधिकार सम्पन्न गंगा संरक्षण प्राधिकरण गठित किया जाए।तीन- प्रदूषित जल को निर्धारित मानकों के अनुरूप शोधित करने की व्यवस्था सुनिश्चित हो।चार- गन्दे नालों, कल-कारखानों के प्रदूषित जल एवं लावारिस पशुओं के शव आदि को गंगा जी में डालना संज्ञेय अपराध घोषित किया जाए।पांच- टिहरी बांध परियोजना के जो लाभ निर्धारित किए गए थे उनकी उपलब्धि के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार एक श्वेत पत्र जारी करे।
नीचे जो फोटोग्राफ दिया गया है यहां देखेंवह उस माग पत्र की फोटो प्रतिलिपि है जो पूरे भारतवर्ष मैं एक साथ पतंजली योग समितियों के माध्यम से जिला और प्रांत स्तर पर दी गई है.आगे ये श्रीमान लिखते हैं
सवाल उठता है कि मंच ने, बाबा ने गंगा के अविरल बहाव की बात क्यों नहींकी? क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो भागीरथी पर, गंगा पर बनने वाले बांधों कानिर्माण रोकना पडेगा । टिहरी बांधको तोडकर गंगा की धारा को मुक्त करनापडेगा। टिहरी बांध किसने बनाया जे पी इण्डस्ट्रीज ने। जिसके पास गंगाएक्प्रेस हाइवे का भी ठेका है इसलिए मांगपत्र में गंगा एक्सप्रेस हाइवे सेसम्बन्धित कोइ बात नहीं है। सवाल है कि क्या गंगा रक्षा मंच और बाबारामदेव गंगा एक्सप्रेसवे को गंगा के लिए खतरा नहीं मानते।
इस पूरे आंदोलन का मूल नारा ही निर्मल गंगा अविरल गंगा है जो कि ये स्वयेंही इसको लिखकर भूल गये और नीचे कुछ और ही लिख डाला जो कि पांचवी मांग है
बाबा रामदेव के उध्योंग पतियों से संबंध होना क्या अन्याय है,और यदि वे योग और प्राणायाम के इस यज्ञ मैं अपनी आहुति देना चाहें तो क्या गलत .बात है.
खैर मुद्दे से न भटकते हुए बाकि और भी बहुत कुछ लिखा है उसमें पर अभी सिर्फ इनका झूठ ही सामने लाना था .
आजकल प्रगतिशील कहलाने के लिए ये आवश्यक हो गया है किभारतीय सभ्यता संस्कृति या साधू संतो को बदनाम किया जाये या गालियां निकाली जाये और ये सब ब्लॉग पर करने का अर्थ है कि पोस्ट का हिट होना. भगवान इनको सद्बुध्दी दे....
"जेपी इंडस्ट्रीज रामदेव के योगग्राम में पैसा लगाता है और गंगा रक्षा का दावा करनेवाले बाबा रामदेव गंगा रक्षा के पांच सूत्रीय मांगों में गंगा एक्सप्रेस हाईवे का जिक्र करना भी भूल जाते हैं. इससे गंगा रक्षा मंच और उद्योगपतियों के अन्तर्सम्बन्धों से हकीकत खुद बखुद सामने आ गई है। वैसे भी गंगा में जो भी उतरेगा उसे कपड़े उतारने पडेंगे। और कपड़े उतरेंगे को बहुत कुछ दिखेगा। दामन पर लगे दाग गंगा बाद में धोएगी पहले तो वह सार्वजनिक होगा। वही बाबा रामदेव के साथ हो रहा है।""
इसके बाद लेखक महोदय पांच सूत्रीय मांग पत्र छापते है जो आधा झूठ है और आधा सच
पहली बात। बाबा ने गंगा रक्षा मंच के बैनर तले एक हस्ताक्षर अभियान चला रखा है। हस्ताक्षर अभियान गंगा के सवाल पर केन्द्रीय एवं सम्बन्धित राज्य सरकारों के समक्ष प्रस्तुत मांग पत्र के समर्थन में है। मांग क्या है, इस पर गौर फरमाने की जरूरत है। एक- गंगा को राष्ट्रीय नदी / राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए। दो- केन्द्रीय स्तर उच्चाधिकार सम्पन्न गंगा संरक्षण प्राधिकरण गठित किया जाए। तीन- प्रदूषित जल को निर्धारित मानकों के अनुरूप शोधित करने की व्यवस्था सुनिश्चित हो। चार- गन्दे नालों, कल-कारखानों के प्रदूषित जल एवं लावारिस पशुओं के शव आदि को गंगा जी में डालना संज्ञेय अपराध घोषित किया जाए। पांच- टिहरी बांध परियोजना के जो लाभ निर्धारित किए गए थे उनकी उपलब्धि के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार एक श्वेत पत्र जारी करे।
नीचे जो फोटोग्राफ दिया गया है वह उस माग पत्र की फोटो प्रतिलिपि है जो पूरे भारतवर्ष मैं एक साथ पतंजली योग समितियों के माध्यम से जिला और प्रांत स्तर पर दी गई है. आगे ये श्रीमान लिखते हैं
सवाल उठता है कि मंच ने, बाबा ने गंगा के अविरल बहाव की बात क्यों नहीं की? क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो भागीरथी पर, गंगा पर बनने वाले बांधों का निर्माण रोकना पडेगा । टिहरी बांधको तोडकर गंगा की धारा को मुक्त करना पडेगा। टिहरी बांध किसने बनाया जे पी इण्डस्ट्रीज ने। जिसके पास गंगा एक्प्रेस हाइवे का भी ठेका है इसलिए मांगपत्र में गंगा एक्सप्रेस हाइवे से सम्बन्धित कोइ बात नहीं है। सवाल है कि क्या गंगा रक्षा मंच और बाबा रामदेव गंगा एक्सप्रेसवे को गंगा के लिए खतरा नहीं मानते।
इस पूरे आंदोलन का मूल नारा ही निर्मल गंगा अविरल गंगा है जो कि ये स्वयें ही इसको लिखकर भूल गये और नीचे कुछ और ही लिख डाला जो कि पांचवी मांग है
बाबा रामदेव के उध्योंग पतियों से संबंध होना क्या अन्याय है,और यदि वे योग और प्राणायाम के इस यज्ञ मैं अपनी आहुति देना चाहें तो क्या गलत .बात है.
खैर मुद्दे से न भटकते हुए बाकि और भी बहुत कुछ लिखा है उसमें पर अभी सिर्फ इनका झूठ ही सामने लाना था .
आजकल प्रगतिशील कहलाने के लिए ये आवश्यक हो गया है कि भारतीय सभ्यता संस्कृति या साधू संतो को बदनाम किया जाये या गालियां निकाली जाये और ये सब ब्लॉग पर करने का अर्थ है कि पोस्ट का हिट होना. भगवान इनको सद्बुध्दी दे....
रविवार, 28 सितंबर 2008
जो किसी ने नहीं माना मैंने कहा
जय जय भारत
नंमनंमंमनंनमनम मार नाम जो भी है पर तुम्हारा तो नहीं हो सकतता रकेतकेर्तकर
शनिवार, 27 सितंबर 2008
बुधवार, 6 अगस्त 2008
शनिवार, 26 जनवरी 2008
बुधवार, 23 जनवरी 2008
मै एसा क्यूं हूं.....
यह एक टैस्ट पोस्ट है इसे कृपया तवज्जो न दें,मै यह सॉफ्टवेयर को काम लेने के लिए देख रहा हूम