मंगलवार, 30 सितंबर 2008

ये ऐसा झूठ विस्फोट.कॉम पर छापा गया है जो आज की धङाधङ हिट पोस्टहै .सच्चाई यहां हाजिर है विस्फोट.कॉम पर अक्सर अच्छे लेख छपते हैं और मैं इसका नियमित पाठक हूं.पर अबकी बार वैबसाइट के संचालकों ने तथ्यों की सत्यता को नहीं परखा लगता है.
"जेपी इंडस्ट्रीज रामदेव के योगग्राम में पैसा लगाता है और गंगा रक्षा का दावा करनेवाले बाबा रामदेव गंगा रक्षा के पांच सूत्रीय मांगों में गंगा एक्सप्रेस हाईवे का जिक्र करना भी भूल जाते हैं. इससे गंगा रक्षा मंच और उद्योगपतियों के अन्तर्सम्बन्धों से हकीकत खुद बखुद सामने आ गई है। वैसे भी गंगा में जो भी उतरेगा उसे कपड़े उतारने पडेंगे। और कपड़े उतरेंगे को बहुत कुछ दिखेगा। दामन पर लगे दाग गंगा बाद में धोएगी पहले तो वह सार्वजनिक होगा। वही बाबा रामदेव के साथ हो रहा है।""
इसके बाद लेखक महोदय पांच सूत्रीय मांग पत्र छापते है जो आधा झूठ है और आधा सच
पहली बात। बाबा ने गंगा रक्षा मंच के बैनर तले एक हस्ताक्षर अभियान चला रखा है। हस्ताक्षर अभियान गंगा के सवाल पर केन्द्रीय एवं सम्बन्धित राज्य सरकारों के समक्ष प्रस्तुत मांग पत्र के समर्थन में है। मांग क्या है, इस पर गौर फरमाने की जरूरत है। एक- गंगा को राष्ट्रीय नदी / राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए। दो- केन्द्रीय स्तर उच्चाधिकार सम्पन्न गंगा संरक्षण प्राधिकरण गठित किया जाए। तीन- प्रदूषित जल को निर्धारित मानकों के अनुरूप शोधित करने की व्यवस्था सुनिश्चित हो। चार- गन्दे नालों, कल-कारखानों के प्रदूषित जल एवं लावारिस पशुओं के शव आदि को गंगा जी में डालना संज्ञेय अपराध घोषित किया जाए। पांच- टिहरी बांध परियोजना के जो लाभ निर्धारित किए गए थे उनकी उपलब्धि के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार एक श्वेत पत्र जारी करे।
नीचे जो फोटोग्राफ दिया गया है वह उस माग पत्र की फोटो प्रतिलिपि है जो पूरे भारतवर्ष मैं एक साथ पतंजली योग समितियों के माध्यम से जिला और प्रांत स्तर पर दी गई है. आगे ये श्रीमान लिखते हैं

सवाल उठता है कि मंच ने, बाबा ने गंगा के अविरल बहाव की बात क्यों नहीं की? क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो भागीरथी पर, गंगा पर बनने वाले बांधों का निर्माण रोकना पडेगा । टिहरी बांधको तोडकर गंगा की धारा को मुक्त करना पडेगा। टिहरी बांध किसने बनाया जे पी इण्डस्ट्रीज ने। जिसके पास गंगा एक्प्रेस हाइवे का भी ठेका है इसलिए मांगपत्र में गंगा एक्सप्रेस हाइवे से सम्बन्धित कोइ बात नहीं है। सवाल है कि क्या गंगा रक्षा मंच और बाबा रामदेव गंगा एक्सप्रेसवे को गंगा के लिए खतरा नहीं मानते।


इस पूरे आंदोलन का मूल नारा ही निर्मल गंगा अविरल गंगा है जो कि ये स्वयें ही इसको लिखकर भूल गये और नीचे कुछ और ही लिख डाला जो कि पांचवी मांग है
बाबा रामदेव के उध्योंग पतियों से संबंध होना क्या अन्याय है,और यदि वे योग और प्राणायाम के इस यज्ञ मैं अपनी आहुति देना चाहें तो क्या गलत .बात है.
खैर मुद्दे से न भटकते हुए बाकि और भी बहुत कुछ लिखा है उसमें पर अभी सिर्फ इनका झूठ ही सामने लाना था .

आजकल प्रगतिशील कहलाने के लिए ये आवश्यक हो गया है कि भारतीय सभ्यता संस्कृति या साधू संतो को बदनाम किया जाये या गालियां निकाली जाये और ये सब ब्लॉग पर करने का अर्थ है कि पोस्ट का हिट होना. भगवान इनको सद्बुध्दी दे....

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